उसको उतनी ही मोहब्बत मिला करती है
आशिक़ का जितने में गुज़ारा हो जाए
अब मैं नहीं देखूंगा उसको उस नजर से कभी
क्या फायदा गर उसी से इश्क़ दोबारा हो जाए
बात लिहाज की नहीं है पर पर्दा किया करो
गोया देखते देखते आज फ़िर थोड़ी ज़्यादा हो जाए
चाँद ढूंढता रहता है तुमको उसे देख लिया करो
क्या फायदा हो अगर टूट के वो ज़माना हो जाए
ये किसकी कश्ति है कौन है चलाने वाला
हाथ थाम लो तो बीच समंदर में किनारा हो जाए
सालों हो गए दीद को अब नहीं मिलूंगा उससे
क्या पता वो और भी प्यारा हो जाए
उसने जाते जाते पलट कर देखा सिर्फ इसलिए
की डूबते हुए को तिनके का सहारा हो जाए
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