Monday, October 30, 2023

Wo nigah se nahi nikla ab tak


ये कैसा पूछ रहे हो सवाल, ये क्या बात करते हो?
वो निगाह से नहीं निकला अब तक
तुम दिल की बात करते हो


आज भी लगता है मेरे सामने है वो मंज़र गुजरता हुआ
मैं आज भी राह ढूंढता हूं तुम मंजिल की बात करते हो।


हर सांस उधार लगती है तेरे बिछड़ जाने के बाद
एक हो तो बताएं जो तुम मुश्किल की बात करते हो


कितने अंजान हैं दैर–ओ–हरम में लोग, चलो मयकदा ढूंढे।
या कोई जगह बता दो जहां लोग दिल की बात करते हो


भूल न जाऊंगा चार के बीच मैं उनकी बातें
मैं तन्हाई मांगता हूं तुम महफिल की बात करते हो


धुंध बहुत है कोई शख्स नजर नहीं आता ठीक से
चेहरे नजर नहीं आते ठीक से तुम जिल (साये) की बात करते हो


बोहोत सुकून है यादों की स्याह शुआओं में
मुझे माज़ी में रहने दो कहां मुस्तकबिल की बात करते हो

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