Tuesday, December 16, 2025

Mulaaqat ke baad

अपने चेहरे के तासुर को थोड़ा बदल लेने दो।

मैं उनसे मिल के आया हूं थोड़ा संभल लेने दो। 


किसको समझाऊंगा गालों पे ये सुर्खी क्या है

अपने चेहरे पे पानी भी थोड़ा मल लेने दो 


लोग पहचान लेंगे मेरा हाल सांसों की तेजी से

अपने दिल की बगावत को थोड़ा कुचल लेने दो


अभी तो बाकी है उनके छुवन का एहसास हाथों में,

अभी उनकी सांसों की गुनगुनाहट में थोड़ा पिघल लेने दो। 


मुझे समझाओ, उनकी शोख निगाहों पे ना मचल लेने दो।

बड़ा कमज़ोर है दिल, इसको न फिसल लेने दो


दो लम्हों में मैंने जिंदगी गुज़ार ली है उज्ज्वल 

उन्ही यादों की तंग गलियों से फिर गुजर लेने दो।

Saturday, December 6, 2025

Hisaab Maang Rahi thi

 वो मुझसे मेरी मोहब्बत का जवाब मांग रही थी 

पगली, बारिश से बूंदों का हिसाब मांग रही थी


जिनसे सीखा है आम की कैरियों नै लटकना 

उन झुमकों की लटक को वो खराब मान रही थी


आदतन आज फिर खाली हाथ चली आई

मेरी कब्र पर, वो पड़ोसी से ग़ुलाब मांग रही थी


समंदर की कोख से बनाया है बादलों को जिसने

वो धरती, फिर आसमानों से सहाब मांग रही थी


आंखों से पीने पिलाने का अपना और मजा है

एक रोज साक़ी खुद मुझसे शराब मांग रही थी

Waah Nahi Ki

उसने कहा था नींद नहीं आती तो छत पर आ जाती हूं

बस तबसे हमने सोते सोते कभी सुबह नहीं की


सारी महफिल तिरछी निगाह से उसको देखती रही 

बस इसलिए उसने इस तरफ निगाह नहीं की


कुछ तो लगा होगा जो वो जाते जाते रूक गए

वैसे उसने कभी मेरे शेर पर वाह नहीं की


उसने नजरें नीचे की और मुस्कुरा के चल दी 

बस तबसे हमने वाह की परवाह नहीं  की


मोहब्बत करने की चीज है सो कर ली 

किसी को पाने में ज़िंदगी तबाह नहीं की

Utanaa nahi kiya

 जितना पागलपन हो सकता था उतना नही किया 

तुझसे प्यार किया बहुत पर उतना नही किया


हद में रह कर किया तो क्या प्यार प्यार नहीं होता 

कैसे बताएं के कितना किया और कितना नहीं किया


डर था, नादानी थी, मजबूरी भी थी मेरी,

घर लौट ही ना पाएं सफर उतना नहीं किया


मस्जिद गए, नमाज पढ़ी पर खतना नहीं किया 

तुझसे प्यार किया बहुत पर उतना नहीं किया

Mulaaqat ke baad

अपने चेहरे के तासुर को थोड़ा बदल लेने दो। मैं उनसे मिल के आया हूं थोड़ा संभल लेने दो।  किसको समझाऊंगा गालों पे ये सुर्खी क्या है अपने चेहरे ...

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