जितना पागलपन हो सकता था उतना नही किया
तुझसे प्यार किया बहुत पर उतना नही किया
हद में रह कर किया तो क्या प्यार प्यार नहीं होता
कैसे बताएं के कितना किया और कितना नहीं किया
डर था, नादानी थी, मजबूरी भी थी मेरी,
घर लौट ही ना पाएं सफर उतना नहीं किया
मस्जिद गए, नमाज पढ़ी पर खतना नहीं किया
तुझसे प्यार किया बहुत पर उतना नहीं किया
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