Friday, December 20, 2024

Aisa kuchh nahi

ऐसा कुछ नहीं है हम छुपायें क्या 

कोई पूछे ही नहीं है हम बताएं क्या


शिकवा क्या करें, सवाल करें कैसे 

वो वक्त का मारा है उसे सताएं क्या


उसके हल्की सी मुस्कुराहट लिए होठों पर 

हक़ तो बनता है पर अब जताएं क्या


ऐसे नही मिलता इश्क जान लगानी पड़ती है,

वो मिल तो जायेंगे पर जान लगाएं क्या


इक नजर लगती है हाल ए दिल समझने के लिए 

वो राज़ सारा पढ़ चुके अब बचाएं क्या 


उनको मालूम तो है के मैं कहां रहता हूं

इशारे से आ तो जायेंगे पर अब बुलाएं क्या


तुम जिसकी करते हो परस्तिश हम भी उसी के गुलाम है

खुद्दारी गिरवी रख आएं हैं अब बताएं क्या

Tuesday, December 17, 2024

Itni si mohabbat

 उसको उतनी ही मोहब्बत मिला करती है

आशिक़ का जितने में गुज़ारा हो जाए


अब मैं नहीं देखूंगा उसको उस नजर से कभी 

क्या फायदा गर उसी से इश्क़ दोबारा हो जाए


बात लिहाज की नहीं है पर पर्दा किया करो 

गोया देखते देखते आज फ़िर थोड़ी ज़्यादा हो जाए


चाँद ढूंढता रहता है तुमको उसे देख लिया करो 

क्या फायदा हो अगर टूट के वो ज़माना हो जाए 


ये किसकी कश्ति है कौन है चलाने वाला 

हाथ थाम लो तो बीच समंदर में किनारा हो जाए


सालों हो गए दीद को अब नहीं मिलूंगा उससे 

क्या पता वो और भी प्यारा हो जाए


उसने जाते जाते पलट कर देखा सिर्फ इसलिए 

की डूबते हुए को तिनके का सहारा हो जाए

Saturday, April 6, 2024

Badala nahi hoon main


मैं, वो मैं, ना रहा, ना सही,

पर बदला नहीं हूं मैं 


जानेमन तू मेरा न सही 

पर तुमसा नहीं हूं मैं 


तेरी बात मेरी याद हो गई 

पर गुजरा नहीं हूं मैं 


शीशे में वो शकल न सही 

पर धुंधला नहीं हूं मैं 


लब पे है बात वो अनसुनी 

जो कहता नहीं हूं मैं


Wednesday, February 14, 2024

Kahaani ho tum

 कईं किस्से खो जाते हैं कहानी के बीच में।

मेरे किस्से की पूरी कहानी हो तुम।।


बड़ी जिंदगी का एक हिस्सा है जवानी।

उस हिस्से की पूरी जवानी हो तुम।।


सर्द दुनिया है मरासिम नही बनते यहां।

ऐसी सर्दी में धूप सुहानी हो तुम।।


नूर चांद का, ज़ुल्फ बादल, चमक सितारों जैसी।

इस धरती की नही हो, आसमानी हो तुम।।


चंद अल्फाज़ के सिवा क्या है मेरे पास।

मेरे साथ क्यों हो, दीवानी हो तुम।।


मेरे किस्से की पूरी कहानी हो तुम।।

❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

Monday, October 30, 2023

Kamm hi hoti hai


Labon ki baat hai keh do, nigahon se mat samjhaao
Dar se laut jaane walon ki khabar kamm hi hoti hai

Baad mein mat poochhna ki phool kahaan rakhne hain
Har roz jalne walon ki Qabar kamm hi hoti hai

Pyaar karne walon ko nahi araam shab-o-roz
Aag pe chalne walon ko sabar kamm hi hoti hai

Aashiq kahan kiya karte hain maut ki bhi izzat...
Baar baar aane walon ki Kadar kamm hi hoti hai...

Jirah


Ya to rukhsat mein tabeez koi pehnaaya na karo
Ya to bandh lo mujhe aanchal se sadaa ke liye

Khatm kar do ke mein tayyar hun kaza ke liye
Aise bazaar mein na chhor do sazaa ke liye

Irada kar liya hai to qatl kar do jirah na karo
Meri khuddari kya kamm hai wajaah ke liye

Yaan soorat ke saath seerat ke bhi hain khareeddaar
Kiski Keemat munasib hai tumhari jazaa ke liye

Shauk bade hain tumhare tasweer se kya hoga
Sar hi rakh lo kaam aayega azaa ke liye

Wo nigah se nahi nikla ab tak


ये कैसा पूछ रहे हो सवाल, ये क्या बात करते हो?
वो निगाह से नहीं निकला अब तक
तुम दिल की बात करते हो


आज भी लगता है मेरे सामने है वो मंज़र गुजरता हुआ
मैं आज भी राह ढूंढता हूं तुम मंजिल की बात करते हो।


हर सांस उधार लगती है तेरे बिछड़ जाने के बाद
एक हो तो बताएं जो तुम मुश्किल की बात करते हो


कितने अंजान हैं दैर–ओ–हरम में लोग, चलो मयकदा ढूंढे।
या कोई जगह बता दो जहां लोग दिल की बात करते हो


भूल न जाऊंगा चार के बीच मैं उनकी बातें
मैं तन्हाई मांगता हूं तुम महफिल की बात करते हो


धुंध बहुत है कोई शख्स नजर नहीं आता ठीक से
चेहरे नजर नहीं आते ठीक से तुम जिल (साये) की बात करते हो


बोहोत सुकून है यादों की स्याह शुआओं में
मुझे माज़ी में रहने दो कहां मुस्तकबिल की बात करते हो

Aisa kuchh nahi

ऐसा कुछ नहीं है हम छुपायें क्या  कोई पूछे ही नहीं है हम बताएं क्या शिकवा क्या करें, सवाल करें कैसे  वो वक्त का मारा है उसे सताएं क्या उसके ह...

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